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Monday, March 8, 2021

Freehand Poetry #2



वह एक तरुवर विशाल है
वह एक तरुवर विशाल है,

जो जिन्दगी की ढाल है
बेबाक उसकी चाल है
सबको राह दिखाती वो मशाल है,
संघर्षों की शीत लहर मैं,
वो अकेली गरम शाल है,
जीवन की चुनौतियों ने,
की घायल जिसकी खाल है,
जो करता सबकी देखभाल है।

एक वो सुजान है,
रहते जिसके सब में जान है,
वो वीरता का गान है,
परिवार का वो मान है।

सच्चाई और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है,
मिलती उससे जिन्दगी की सीख है।

सहारा दिये खड़ा वो स्तंभ है,
वो सुखों का प्रतिबिंब है।

मेरे जीवन को रंगना मैं चाहूँ,
वो ही तो वो रन्ग है,
खातिर कुटुम्ब के लड़ी,
उसने हजारों जंग है,
खुशनसीब हुँ की वो मेरे संग है।

वो शक्ति है, उर्जा का सार है,
हम बन्दे उसके वो परवर दिगार है,
वो खिवैया जो करता सबकी नौका पार है,
हमको जीवन देता वो,
एक ररुवर विशाल है
वह एक तरुवर विशाल है।

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